1➤ भारत में सर्वप्रथम पूर्वपाषाण कालीन उपकरण राबर्ट ब्रूसफूट को मिला था ?
ⓐ 1860 ⓑ 1863 ⓒ 1873 ⓓ 1878
➤ 1863
भारत में पाषाण कालीन बस्तियों के अन्वेषण की शुरुआत 1863 में जियोलॉजिकल सर्वे से सम्बन्ध भू-वैज्ञानिक राबर्ट
ब्रूसफुट ने की। इन्हें चेन्नई के समीप पल्लवरम से कुछ पाषाण निर्मित औजार (हस्तकुठार) प्राप्त हुआ था।
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य
।. चेन्नई के निकट अतिरमपक्क्म से विलियम किंग ने पूर्व पाषाण कालीन उपकरण प्राप्त किये थे।
2. संगनकल्लू से दक्षिण भारत की नवपाषाण संस्कृति के आरम्भिक साक्ष्य प्राप्त हुये है।
3. सोहन घाटी में सबसे महत्वपूर्ण अनुसंधान 955 में डी टेरा के नेतृत्व में एल कैम्त्रिज अभियान दल ने किया।
4.928 में डी.एन. वाडिया ने सोहन घाटी से पूर्वपाषाण काल का उपकरण प्राप्त किया।
2➤ खाद्य उप्तादनपरक अर्थव्यवस्था सम्बन्धित है
ⓐ मध्य पूर्वपाषाण काल से ⓑ उच्च पूर्वपाषाण काल से ⓒ मध्य पाषाण काल से ⓓ नवपाषाण काल से
➤ नवपाषाण काल से
खाद्यानों का उत्पादन सर्वप्रथम नवपाषाण काल में हुआ। यही वह समय है जब मनुष्य कृषि कर्म से परिचित हुआ । नवपाषाण काल में ही जौ एवं गेहूँ की वन्य किस्म को खेती के योग्य बनाया गया तथा जिससे कृषि अन्य गेहूँ का उद्भव हुआ। भारतीय उपमहाद्वीप में कोलडीहवा तथा मेहरगढ़ दो नवपाषाणिक ग्राम बस्तियां थी जहाँ से चावल एवं गेहूँ के स्पष्ट प्रमाण मिले है। नवीनतम खोजों में धान उत्पादन का प्राचीनतम साक्ष्य लहुरादेव से प्राप्त हुआ
3➤ परिष्कृत औजारों का युग माना जाता है।
ⓐ निम्न पूरापाषाण युग ⓑ उच्च पूरापाषाण युग ⓒ नवपाषाण युग ⓓ मध्यपाषाण युग
➤ उच्च पूरापाषाण युग
उच्च पुरापाषाण काल को परिष्कृत औजारों का युग माना जाता है। विश्वव्यापी सन्दर्भ में इसकी दो विलक्षणताएं है
1. नए चकमक उद्योग की स्थापना
2. आधुनिक मानव होमोसेपियन्स का उदय । इस काल का प्रधान उपकरण ब्लेड है।
4➤ चावल का प्राचीनतम प्रमाण पाया गया है
ⓐ बिहार में ⓑ उत्तर प्रदेश ⓒ बंगाल में ⓓ छतीसगढ़ में
➤ उत्तर प्रदेश
नवीनतम खोजों के आधार पर भारतीय उपमहाद्वीप में प्राचीनतम कृषि साक्ष्य वाला स्थल उत्तर प्रदेश के संत कबीर जिले में स्थित लहुरादेव है । यहाँ से 8000 ई.पू. से 9000 ई.पू. मध्य के चावल के साक्ष्य प्राप्त हुए है। उल्लेखनीय ही कि इस नवीनतम खोज के पूर्व भारतीय उपमहाद्वीप का प्राचीनतम कृषि साक्ष्य वाला स्थल मेहरगढ़ (पाकिस्तान के बलूचिस्तान में स्थित यहाँ से 7000 ई.पू. के गेहूँ के साक्ष्य मिले है) जबकि प्राचीनतम चावल के साक्ष्य वाला स्थल कोलडीहवा (इलाहबाद जिले में बेलन नदी के तट पर स्थित याह से 6500 ई.पू. के चावल की भूसी के साक्ष्य मिले है) माना जाता था । उपरोक्त संदर्भों में अब यदि विकल्प में लहुरादेव रहता है तो उपयुक्त विकल्प वही होगा परन्तु लहुरादेव के विकल्प में न होने की स्थिति में इसका उत्तर पूर्व की भांति होगा ।
5➤ जोर्वे संस्कृति के स्थलों में अधिवास विन्यास का सबसे अच्छा प्रमाण मिला है
ⓐ इनामगाँव ⓑ जोर्वे में ⓒ बाल्की में ⓓ नवदाटोली में
➤ इनामगाँव
इनामगाँव में जोर्वे संस्कृति चरण की सबसे अधिक व्यापक तस्वीर उभरती है। यहाँ से चूल्हों सहित बड़े बड़े कच्ची मिट्टी के मकान और गोलाकार गढ़ो वाले मकान मिले है। इनामगाँव ताम्रपाषाण काल की एक बड़ी बस्ती थी। इसमें सौ से भी अधिक घर और कमरे पाए गये है। यह बस्ती किलाबन्द है और खाई से घिरी हुई है। अन्य महत्वपूर्ण तथ्य
1. नर्मदा के दक्षिणी तट पर स्थित नवदाटोली एक महत्वपूर्ण ताम्रपाषाणिक स्थल है।
2. यहाँ से प्राप्त विशिष्ट प्रकार के मृदभांड को मालवा मृदभांड की संज्ञा दी गई है।
6➤ अनाज की उपज प्रथम बार प्रारम्भ हुई
ⓐ नवपाषाण युग में ⓑ मध्यपाषाण युग में ⓒ पुरापाषाण युग में ⓓ इनमें से कोई नहीं
➤ नवपाषाण युग में
खाद्यानों का उत्पादन सर्वप्रथम नवपाषाण काल में हुआ। यही वह समय है जब मनुष्य कृषि कर्म से परिचित हुआ । नवपाषाण काल में ही जौ एवं गेंहू की वन्य किस्म को खेती के योग्य बनाया गया जिसमें कृषिजन्य गेंहूँ का उद्भव हुआ। भारतीय उपमहाद्वीप में कोलडीहवा तथा मेहरगढ़ दो नवपाषाणिक ग्राम बस्तियां थी जहां से चावल एवं गेंहू के स्पष्ट प्रमाण मिले है।
7➤ 1863 में राबर्ट ब्रूसफुट को हस्तकुठार मिला था ?
ⓐ बदममदुरै ⓑ अतिरमपक्क्म ⓒ पल्लवरम ⓓ संगनकल्लू
➤ पल्लवरम
भारत में पाषाण कालीन बस्तियों के अन्वेषण की शुरुआत 1863 में जियोलॉजिकल सर्वे से सम्बन्ध भू-वैज्ञानिक राबर्ट
ब्रूसफुट ने की । इन्हें चेन्नई के समीप पल्लवरम से कुछ पाषाण निर्मित औजार (हस्तकुठार) प्राप्त हुआ था।
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य
1. चेन्नई के निकट अतिरमपक्क्म से विलियम किंग ने पूर्व पाषाण कालीन उपकरण प्राप्त किये थे।
2. संगनकल्लू से दक्षिण भारत की नवपाषाण संस्कृति के आरम्भिक साक्ष्य प्राप्त हुये हैं।
3. सोहन घाटी में सबसे महत्वपूर्ण अनुसंधान 1935 में डी टेरा के नेतृत्व में एल कैम्ब्रिज अभियान दल ने किया।
4. 1928 में डी.एन. वाडिया ने सोहन घाटी से पूर्वपाषाण काल का उपकरण प्राप्त किया।
8➤ ब्लेड और ब्यूरिन चारित्रिक उपकरण है।
ⓐ निम्न पुरापाषाणिक संस्कृति ⓑ उच्च पूरापाषाणिक संस्कृति के ⓒ मध्य पुरापाषाणिक संस्कृति के ⓓ नवपाषाणिक संस्कृति के
➤ उच्च पूरापाषाणिक संस्कृति के
ब्लेड ब्युरिन प्रकार के उपकरण उच्च पूर्वपाषाण काल से सम्बन्धित है।
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य
1. मध्य पूर्वपाषाण काल में जैस्पर, चर्ट, फ्लिंट आदि के पत्थर प्रयुक्त होने लगे थे।
2. इस समय के मुख्य औजार खुरचनी, बेधनी, फलक आदि थे।
3. मध्यपाषाण युग के औजार छोटे पत्थरों से बने हुए है। इनको माइक्रोलिथिक या सूक्ष्म पाषाण कहा गया है।
4. नवपाषाण युग के प्रथम प्रस्तर उपकरण उ.प्र. के टोंस नदी घाटी में सर्वप्रथम 1860 में लेन्मेसुरियर ने प्राप्त किया था।
5. इस युग के मुख्य औजार स्क्रेपर, ब्लेड्स कुल्हाड़ी आदि है।
उपकरणों की भिन्नता के आधार पर सम्पूर्ण पाषाणकालीन संस्कृति को तीन मुख्य चरणों में विभाजित किया गया है पुरापाषाण काल, मध्यपाषाणकाल तथा नवपाषाणकाल । पुरापाषाण युग को भी तीन कालों में विभाजित किया गया है। जिनमें पहला काल पूर्वपाषाण काल तथा दूसरा व तीसरा काल क्रमशः मध्य पुरापाषाण काल तथा पूरापाषाण काल है। नवपाषाण युग के उपरांत कांस्य युग आता है। हड़प्पा सभ्यता एक कांस्ययुगीन सभ्यता थी। जबकि भारत में लौह युग का प्रारम्भ उत्तर वैदिक काल (लगभग 1000) से माना जाता है।
10➤ प्राचीन भारत में कृषि के प्राचीनतम उल्लेख कहां से मिलते है
ⓐ बोरी ⓑ मेहरगढ़ ⓒ इनामगाँव ⓓ गिलुन्द
➤ मेहरगढ़
नवीनतम खोजों के आधार पर भारतीय उपमहाद्वीप में प्राचीनतम कृषि साक्ष्य वाला स्थल उत्तर प्रदेश के संत कबीर जिले में स्थित लहुरादेव है । यहाँ से 8000 ई.पू. से 9000 ई.पू. मध्य के चावल के साक्ष्य प्राप्त हुए है। उल्लेखनीय ही कि इस नवीनतम खोज के पूर्व भारतीय उपमहाद्वीप का प्राचीनतम कृषि साक्ष्य वाला स्थल मेहरगढ़ (पाकिस्तान के बलूचिस्तान में स्थित यहाँ से 7000 ई.पू. के गेहूँ के साक्ष्य मिले है) जबकि प्राचीनतम चावल के साक्ष्य वाला स्थल कोलडीहवा (इलाहबाद जिले में बेलन नदी के तट पर स्थित याह से 6500 ई.पू. के चावल की भूसी के साक्ष्य मिले है) माना जाता था । उपरोक्त संदर्भों में अब यदि विकल्प में लहुरादेव रहता है तो उपयुक्त विकल्प वही होगा परन्तु लहुरादेव के विकल्प में न होने की स्थिति में इसका उत्तर पूर्व की भांति होगा ।
11➤ प्रागैतिहासिक के अध्ययन का विषय है
ⓐ निरक्षर समाज का इतिहास ⓑ साक्षर समाजों का इतिहास ⓒ सभ्य समाजों का इतिहास ⓓ नगरीय समाज का इतिहास
➤ निरक्षर समाज का इतिहास
इतिहास की विशद सामग्री को सार्वजिनिक एवं समझने योग्य बनाने के लिए इतिहासकारों ने इसे तीन भागों में बांटा है
1. प्रागैतिहासिक काल
2. आद्य एतिहासिक काल
3. एतिहासिक काल
प्रागैतिहासिक काल का इतिहास पूर्णतः पुरातात्विक साधनों पर निर्भर है। इस काल का कोई लिखित साक्ष्य उपलब्ध नहीं है क्योकि मानव जीवन असभ्य एवं बर्बर था तथा लेखन कला अज्ञात थी।
12➤ मनुष्य ने कृषि का ज्ञान किया
ⓐ पुरापाषाणकाल में ⓑ मध्यपाषाण काल में ⓒ नवपाषाण काल में ⓓ ताम्रप्रस्तर काल में
➤ नवपाषाण काल में
खाद्यानों का उत्पादन सर्वप्रथम नवपाषाण काल में हुआ। यही वह समय ही जब मनुष्य कृषि कर्म से परिचित हुआ । नवपाषाण काल में ही जौ एवं गेंहू की वन्य किस्म को खेती योग्य बनाया गया जिससे कृषि जन्य गेहूँ उद्भव हुआ।
13➤ लघु-पाषाण उपकरण अधोलिखित किस संस्कृति के प्रमुख उद्योग है।
ⓐ निम्न पुरापाषाणिक संस्कृति ⓑ मध्य पुरापाषाणिक संस्कृति ⓒ उच्च पुरापाषाणिक संस्कृति ⓓ मध्य पाषाणकालीन संस्कृति
➤ मध्य पाषाणकालीन संस्कृति
लघु पाषाण उपकरण मध्य पाषाणकालीन संस्कृति की विशेषता है। भारत में मध्य पाषाणकाल के विषय में जानकारी सबसे पहले 1867 में हुई जबकि सी. एल. कार्लाइल ने विंध्य क्षेत्र से लघु पाषानोंपकरण खोज निकाले। मध्य पाषाणकाल के उपकरण आकार में अत्यंत छोटे है। वे लगभग आधे इंच से लेकर पीन इंच के बराबर है। इनमें कुंठित तथा टेढ़ेब्लेड, छिद्रक, स्क्रेपर, ब्युरिन, बेधक, चान्द्रिक आदि प्रमुख है। इसलिए मध्य पुरापाषाणकाल को फलक संस्कृति की संज्ञा दी जाती है।
14➤ ब्लेड ब्युरिन प्रकार के उपकरण निम्नलिखित में से किस परम्परा के परिचायक लक्षण है
ⓐ उच्च पूर्वपाषाण काल ⓑ मध्य पूर्वपाषाण काल ⓒ मध्य पाषाण काल ⓓ नवपाषाण काल
➤ उच्च पूर्वपाषाण काल
ब्लेड ब्युरिन प्रकार के उपकरण उच्च पूर्वपाषाण काल से सम्बन्धित है।
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य
1. मध्य पूर्वपाषाण काल में जैस्पर, चर्ट, फ्लिंट आदि के पत्थर प्रयुक्त होने लगे थे।
2. इस समय के मुख्य औजार खुरचनी, बेधनी, फलक आदि थे।
3. मध्यपाषाण युग के औजार छोटे पत्थरों से बने हुए है। इनको माइक्रोलिथिक या सूक्ष्म पाषाण कहा गया है।
4. नवपाषाण युग के प्रथम प्रस्तर उपकरण उ.प्र. के टोंस नदी घाटी में सर्वप्रथम 1860 में लेन्मेसुरियर ने प्राप्त किया था।
5. इस युग के मुख्य औजार स्क्रेपर, ब्लेड्स कुल्हाड़ी आदि है।
15➤ तिथिक्रमानुसार निम्न को व्यवस्थित कीजिये --- 1. पुरापाषाण युग 2. ताम्र युग 3. मध्यपाषाण युग 4. नवपाषाण युग
ⓐ 1,2,3,4 ⓑ 1,2,4,3 ⓒ 1,4,3,2 ⓓ 1,3,4,2
➤ 1,3,4,2
पाषाणकालीन संस्कृति का तिथिक्रमानुसार निर्धारण है- 1. पुरापाषाणकाल 2. मध्यपाषाणकाल 3. नवपाषाणकाल 4. ताम्र युग
16➤ पूर्व पाषाणकालीन मानव का मुख्य धंधा था
ⓐ कृषि ⓑ शिकार ⓒ पशुपालन ⓓ मिट्टी का बर्तन बनाना
➤ शिकार
पूर्वपाषाण युग के लोगों का प्रमुख उद्यम शिकार था। कृषि का ज्ञान न होने के कारण वह वनों से प्राप्त फल फूल, आखेट में मारे गये पशु, नदियों एवं झीलों से प्राप्त मछलियों पर निर्भर था।
17➤ हथनोरा में पूर्वपाषाणिक मानव के जीवाश्मों की खोज की गई थी
ⓐ एच.डी. सांकलिया द्वारा ⓑ ए. के. सोनकिया द्वारा ⓒ बी. बी. लाल द्वारा ⓓ जी. आर. शर्मा द्वारा
➤ ए. के. सोनकिया द्वारा
नर्मदा घाटी में स्थित हथनोरा से पूर्वपाषाणिक मानव के जीवाश्मों की खोज ए. के. सोनकिया द्वारा की गई थी। यहाँ से मानव की खोपड़ी का जीवाश्म मिला जिसे जीवाश्म का सबसे प्राचीन नमूना माना जाता है।
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य
1. 1956 में बी. बी. लाल ने व्यास नदी घाटी में अनेक पुरापाषाणीय बस्तियों की खोज की।
2. एच. डी. सांकलिया ने महत्वपूर्ण ताम्रपाषाणिक स्थल नवदाटोली का उत्खनन कराया था।
3. जी. आर. शर्मा इलाहबाद विश्वविद्यालय से सम्बन्ध थे। इन्होने कौशाम्बी का उत्खनन कराया था।
18➤ निम्नलिखित में से कौन सा प्रागैतिहासिक स्थल नहीं हैं
ⓐ कौशाम्बी ⓑ नवासा ⓒ बुर्जहोम ⓓ ब्रम्हगिरि
➤ कौशाम्बी
कौशाम्बी प्रागैतिहासिक काल का स्थल नहीं हैशेष स्थल प्रागैतिहासिक कालीन है।
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य
1. ब्रम्हागिरी, क्र्नात्क्मे स्थित एक नवपाषाण कालीन स्थल है।
2. नेवासा, अहमदनगर जिले में स्थित एक ताम्रपाषाणिक स्थल है।
3. यहाँ से पटसन का साक्ष्य प्राप्त हुआ है। यह जोर्वे संस्कृति से सम्बद्ध है।
19➤ अधोलिखित में से कौन मध्य सोन नदी घाटी का प्राचीनतम भू-तात्विक जमाव है।
ⓐ पटपरा ⓑ बाघोर ⓒ सिंहावल ⓓ खतौनाही
➤ सिंहावल
मध्य सोन नदी घाटी का प्राचीनतम से नवीनतम भू-तात्विक जमाव क्रमशः इस प्रकार है- सिंहावल जमाव, खुन्तेली जमाव, पटपरा जमाव, बाघोर जमाव और खेतौन्ही जमाव ।
20➤ निम्न नवपाषाणिक स्थल से पशु बाड़े का प्रमाण मिला है।
ⓐ टोरवा ⓑ कोल्डीहवा ⓒ महगड़ा ⓓ इनमें से कोई नहीं
➤ महगड़ा
महगड़ा नवपाषाण काल का पुरास्थल है। यह उत्तर प्रदेश के इलाहबाद जिले की मेजा तहसील में स्थित है। इसे पुरास्थल मिट्टी के बर्तन, गोलाकार अथवा अण्डाकार झोपडियों के साक्ष्य प्राप्त हुए थे।
की खोज वर्ष 1975-76 में हुई थी। जी. आर. शर्मा के निर्देशन में उत्खनन कार्य कराया गया। यहाँ से पशु बाड़े, डोरी छाप
21➤ निम्नांकित में से प्राक- हड़प्पा संस्कृति कौन सी है
ⓐ कुल्ली संस्कृति ⓑ वैदिक संस्कृति ⓒ ईरानी संस्कृति ⓓ सुमेरिया संस्कृति
➤ कुल्ली संस्कृति
प्राक हड़प्पा संस्कृति का लेखक हड़प्पा संस्कृति के पूर्व की संस्कृति से है। इसमें कुल्ली संस्कृति कुल्ली शहर में उदघाटित है, प्राक हड़प्पा संस्कृति के अंतर्गत आता है।
22➤ पूर्वपाषाण युग के लोगों का प्रमुख उद्यम क्या था
ⓐ शिकार ⓑ कृषि ⓒ पशुपालन ⓓ इनमें से कोई नहीं
➤ शिकार
पूर्वपाषाण युग के लोगों का प्रमुख उद्यम शिकार था। कृषि का ज्ञान न होने के कारण वह वनों से प्राप्त फल फूल, आखेट में मारे गये पशु, नदियों एवं झीलों से प्राप्त मछलियों पर निर्भर था।
23➤ ताम्रपाषाणिक कायथा संस्कृति की खोज की गई थी
ⓐ एम.के. धवलीकर द्वारा ⓑ वी.एस. वाकणकर द्वारा ⓒ एच.डी. संकालिया ⓓ के. डी. वाजपेयी द्वारा
➤ वी.एस. वाकणकर द्वारा
कायथा-संस्कृति के अवशेष मध्य प्रदेश के नर्मदा घाटी से मिलते है। कायथा- संस्कृति की खोज वी. एस. वाकणकर ने की। कायथा-संस्कृति मूलतः एक ताम्रपाषाणिक संस्कृति है। इसका विकास उज्जैन के निकट छोटी काली सिंध नदी के किनारे |- हुआ था। कायथा संस्कृति का काल 2450-1700 ई.पू. निर्धारित किया गया है।
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य
1. महाराष्ट्र के अनेक स्थलों से ताम्रपाषाण युगीन जीवन यापन के साक्ष्य प्राप्त हुए है।
2. यहाँ के महत्वपूर्ण स्थल है - अहमदनगर जिले में जोर्वे, नेवासा और दैमाबाद तथा पुणे जिले में चंदौली, सोनगाँव,इनामगाँव, प्रकाश और नासिक।
3. इस संस्कृति की मुख्य विशेषताओं को दर्शाने वाले स्थल अहाड़ के नाम पर इसे आहार संस्कृति भी कहा जाता है।
4. दक्षिण पूर्व राजस्थान की ताम्रपाषाणिक संस्कृति को बनास नदी के नाम पर बनास संस्कृति की संज्ञा दी गई।
24➤ प्रागैतिहासिक युग में मानव कहां रहता था
ⓐ मचान पर ⓑ कंदरा में ⓒ झोपड़ी में ⓓ इन सभी में
➤ इन सभी में
प्रागैतिहासिक युग में मानव ने आत्मरक्षार्थ पर्वत कंदराएं, नदियों के कगार, झोपड़ियों, मचानो आदि को अपनी शरण स्थली बनाया।
25➤ महापाषाण संस्कृति संबंध है
ⓐ ताम्बे से ⓑ कांस्य से ⓒ पीतल से ⓓ लोहा से
➤ लोहा से
महापाषाण संस्कृति का सम्बन्ध लौह काल से है। लौह काल का निर्धारण सामान्यतः 1000 ई. पू. से 600 ई.पू. के मध्य किया जाता है। लोहे का प्रारम्भिक साक्ष्य अतरंजीखेड़ा में देखने को मिलता है।
26➤ भारत में नवपाषाण काल का निम्नांकित में से कौन सा स्थान था जहां बड़ी संख्या में हड्डी से बने औजार प्राप्त हुए
ⓐ छोटानागपुर ⓑ चिरांद ⓒ चुनार ⓓ माज़ी
➤ चिरांद
बिहार के सारण जिले में चिरांद नामक नवपाषाण कालीन पूरास्थल से प्रचुर मात्रा में हड्डी के उपकरण पाए गये है जो मुख्य रूप से हिरण के सींगो के है। 1962-63 में प्रो. वी. के. सिन्हा ने इसका उत्खनन करवाया था।
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य
1. चिरांद के लोग अपने प्रमुख नवपाषाण के लिए बांस बल्ली की झोंपड़ी बना कर रहते थे।
2. कर्नाटक में स्थित प्रमुख नवपाषाण कालीन स्थल मास्की, क्रमगिरी संगनकल्लू हल्लूर, कोडेकल, टी नरसीपुर, पिकलीहन तेक्कलकोट थे।
3. आंध्रप्रदेश में स्थित प्रमुख नवपाषाण कालीन स्थल नागार्जुनकोंड उतनूर, फलवाय एवं संगनपल्ली थे।
27➤ उत्खनित प्रमाणों के अनुसार पशुपालन का प्रारम्भ हुआ था
ⓐ निम्न पूर्वपाषाण काल में ⓑ मध्य पूर्वपाषाण काल में ⓒ ऊपरी पूर्वपाषाण काल में ⓓ मध्यपाषाण एवं नव पाषाण काल में
➤ मध्यपाषाण एवं नव पाषाण काल में
मध्यपाषाण काल के अंतिम चरण में पशुपालन के साक्ष्य प्राप्त होने लगते है। ऐसे पशुपालन के साक्ष्य भारत में आदमगढ़ (होशंगाबाद, म.प्र.) तथा बागोर (भीलवाडा राजस्थान) से मिले है। नवपाषाण काल की प्रमुख विशेषता कृषि तथा पशुपालन का प्रारम्भ एवं पॉलिशदार पाषाण उपकरणों (विशेषकर कुल्हाड़ियों) का निर्माण है।
28➤ मध्य पाषाण काल के लोगों की मुख्य विशेषता क्या थी
ⓐ लघु पाषाणोंपकरणों का प्रयोग ⓑ घरों का प्रयोग ⓒ कपड़ों का प्रयोग ⓓ इनमें से कोई नहीं
➤ लघु पाषाणोंपकरणों का प्रयोग
मध्यपाषाण काल के लोगों की मुख्य विशेषता लघु पाषाणोंकरण का प्रयोग था। इनको माईक्रोलिथिक या सूक्ष्म पाषाण कहा गया है।
29➤ कायथा संस्कृति के अवशेष किस राज्य में पाए जाते है
ⓐ महाराष्ट्र ⓑ मध्य प्रदेश ⓒ राजस्थान ⓓ तमिलनाडू
➤ मध्य प्रदेश
कायथा-संस्कृति के अवशेष मध्य प्रदेश के नर्मदा घाटी से मिलते है। कायथा- संस्कृति की खोज वी. एस. वाकणकर ने की। कायथा-संस्कृति मूलतः एक ताम्रपाषाणिक संस्कृति है। इसका विकास उज्जैन के निकट छोटी काली सिंध नदी के किनारे |- हुआ था। कायथा संस्कृति का काल 2450-1700 ई.पू. निर्धारित किया गया है।
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य
1. महाराष्ट्र के अनेक स्थलों से ताम्रपाषाण युगीन जीवन यापन के साक्ष्य प्राप्त हुए है।
2. यहाँ के महत्वपूर्ण स्थल है - अहमदनगर जिले में जोर्वे, नेवासा और दैमाबाद तथा पुणे जिले में चंदौली, सोनगाँव, इनामगाँव, प्रकाश और नासिक।
3. इस संस्कृति की मुख्य विशेषताओं को दर्शाने वाले स्थल अहाड़ के नाम पर इसे आहार संस्कृति भी कहा जाता है। 4. दक्षिण पूर्व राजस्थान की ताम्रपाषाणिक संस्कृति को बनास नदी के नाम पर बनास संस्कृति की संज्ञा दी गई।
30➤ निम्न में से किस एक पूरास्थल से नवपाषाण संस्कृति से लेकर हड़प्पा सभ्यता तक के सांस्कृतिक अवशेष प्राप्त हुए है
ⓐ आमी ⓑ मेहरगढ़ ⓒ कोटदीजी ⓓ कालीबंगा
➤ मेहरगढ़
बलूचिस्तान में स्थित पुरास्थल मेहरगढ़ से नवपाषाण संस्कृति से लेकर हड़प्पा सभ्यता तक के सांस्कृतिक अवशेष प्राप्त हुए है।
31➤ अधोलिखित संस्कृतियों में कौन पाषण युगीन संस्कृति नहीं है
ⓐ सोहन संस्कृति ⓑ सोधी संस्कृति ⓒ मद्रासियन संस्कृति ⓓ विंध्यन संस्कृति
➤ सोधी संस्कृति
राजस्थान के बीकानेर जिले के सोथी नामक स्थल पर सोथी संस्कृति का अविर्भाव हुआ। इस स्थल पर प्राक हड़प्पा कालीन मृदभांड अवशेष खुदाई के दौरान प्राप्त हुए है। आल्विन, अग्रवाल, अमलानंद घोष इस संस्कृति को सिन्धु सभ्यता की | आरम्भिक सभ्यता मानते है। सोहन संस्कृति, मद्रासियन संस्कृति और विध्यन संस्कृति पाषाण युगीन संस्कृति है जो पाषण युग में विभिन्न स्थलों पर विद्यमान थी।
32➤ आधुनिक मानव होमोसेपियन सम्बन्ध है
ⓐ चीपर से ⓑ ब्लेड से ⓒ हस्तकाटर से ⓓ चौपिंग से
➤ ब्लेड से
आधुनिक मानव होमो सैपियन सम्बन्ध ब्लेड औजार से है। ब्लेड का किनारा धारधाराहोता था। इसका उपयोग पेड़ की छाल या जानवरों की खाल उतारने में किया जाता था।
33➤ किसे भारतीय प्राग इतिहास का जनक कहा जाता है।
ⓐ आर. बी. फूट ⓑ अलेक्जेंडर कनिंघम ⓒ एच.डी.संकालिया ⓓ बी. सुब्बाराव
➤ आर. बी. फूट
भारतीय प्रागैतिहास के जनक ब्रिटिश भूविज्ञानी राबर्ट ब्रूसफुट थे। 1863 में चेन्नई के निकट पल्लवरम से पाषाण निर्मित (कुल्हाड़ी) की निर्णायक खोज के बाद इन्होंने अपने सहयोगी विलियम किंग के साथ मिलकर दक्षिण एवं पश्चिम भारत में प्रागैतिहासिक काल से सम्बन्धित अनेक महत्वपूर्ण खोज किये। इन्होंने लगभग 33 वर्ष भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण में बिताए । इन्हें प्राय: भारतीय प्रागैतिहास का पिता माना जाता है।
34➤ क्या मिट्टी के बर्तन बनाना नवपाषाण काल से सम्बन्धित है।
ⓐ सत्य ⓑ असत्य ⓒ सत्य हो सकता है. ⓓ असत्य हो सकता है
➤ सत्य
नवपाषाण या नियोलिथिक शब्द का प्रयोग सबसे पहले सर जान लुबाक ने 1865 में किया था। बाद में विद्वानों ने नवपाषाण संस्कृति की निम्न विशेषताओं को सुनिश्चित किया - 1. कृषि कार्य 2. पशुओं को पालना 3. पत्थर के औजारों का घर्षण और उन पर पालिश करना 4. मृदभांड बनाना ।
35➤ गंगा घाटी में धान उत्पादन के प्राचीनतम प्रमाण किस स्थल से प्राप्त हुए है
ⓐ सोहगौरा ⓑ इमलीडीह ⓒ लहुरादेव ⓓ झुंसी
➤ लहुरादेव
नवीनतम खोजों के आधार पर भारतीय उपमहाद्वीप में प्राचीनतम कृषि साक्ष्य वाला स्थल उत्तर प्रदेश के संत कबीर जिले में स्थित लहुरादेव है । यहाँ से 8000 ई.पू. से 9000 ई.पू. मध्य के चावल के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं। उल्लेखनीय ही कि इस नवीनतम खोज के पूर्व भारतीय उपमहाद्वीप का प्राचीनतम कृषि साक्ष्य वाला स्थल मेहरगढ़ (पाकिस्तान के बलूचिस्तान में स्थित यहाँ से 7000 ई.पू. के गेहूँ के साक्ष्य मिले हैं) जबकि प्राचीनतम चावल के साक्ष्य वाला स्थल कोलडीहवा (इलाहबाद जिले में बेलन नदी के तट पर स्थित याह से 6500 ई.पू. के चावल की भूसी के साक्ष्य मिले है) माना जाता था । उपरोक्त संदर्भों में अब यदि विकल्प में लहुरादेव रहता है तो उपयुक्त विकल्प वही होगा परन्तु लहुरादेव के विकल्प में न होने की स्थिति में इसका उत्तर पूर्व की भांति होगा ।
36➤ पुरापाषाणकालीन मानव का मुख्य व्यवसाय था
ⓐ कृषि ⓑ पशुपालन ⓒ आखेट ⓓ व्यापार
➤ आखेट
पाषाण युग के मानव को कृषि का ज्ञान नहीं था। वह वनों से प्राप्त फल फूल आखेट में मारे गये पशु, नदियों एवं झीलों से पकड़ी गई मछलियों आदि पर निर्भर था। अर्थात इस युग का मानव शिकारी और खाद्य संग्राहक था।
37➤ प्रसिद्ध भीमबेटका गुफाएं स्थित है
ⓐ भोपाल में ⓑ रायसेन में ⓒ धार में ⓓ होशंगाबाद में
➤ रायसेन में
प्रागैतिहासिक चित्रकला का श्रेष्ठ उदाहरण म.प्र. के रायसेन जिला स्थित भीमबेटका के शैलाश्रय तथा गुफाएं है। भीमबेटका
की प्रागैतिहासिक चित्रकला को मध्यपाषाण काल से सम्बन्धित किया जाता है।
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य
1. अजंता तथा बाघ की शैलकृत गुफा चित्रकला एतिहासिक कालीन (मौर्य काल के बाद की) है।
2. अमरावती अपने स्तूप स्थापत्य के लिए प्रसिद्ध है जिसे शुंग कालीन या सातवाहन कालीन माना जाता है।
38➤ गंगा घाटी की नरहन संस्कृति सम्बन्धित है
ⓐ मध्यपाषाणिक से ⓑ नवपाषाणिक से ⓒ ताम्रपाषाणिक से ⓓ प्रारम्भिक एतिहासिक से
➤ ताम्रपाषाणिक से
पूर्वी उत्तर प्रदेश में खैराडीह व नरहन में ताम्र पाषाणकालीन स्थल मिले है। घाघरा नदी के किनारे बसे नरहन (गोरखपुर जिला) के प्राचीन स्थल की खुदाई से पांच स्तरीय संस्कृति का पता चलता है। नरहन संस्कृति के रूप में प्रसिद्ध यह स्थल आरम्भिक जीवन वृति को दर्शाता है। इस स्थल की खुदाई में छत को सहारा देने के लिए जमीन में खम्भे का छिद्र, जले तिनकों के निशान मिले है। दो क्रमिक तल्ले, चूल्हे दो हाथों वाली सिगड़ी और भंडार भी पाए गये है।
39➤ प्राचीन मानव प्रजाति है
ⓐ आस्ट्रेलोपिथिक्स ⓑ जावा मानव ⓒ होमो एरेक्ट्स ⓓ नियंडरस्थल
➤ आस्ट्रेलोपिथिक्स
सबसे पहले वानर मानव जो सीधा चलता था मध्य अफ्रीका में पाया गया। उसे आस्ट्रेलोपिथिकस कहा गया। इसकी एक उपजाति जिजैनथ्रोपस औजार बनाती थी। सम्भवतः ये 5 लाख वर्ष पहले रहते थे।
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य
1. एशिया में जावा से एक ऐसे होमीनिड (आदिमानव) की हड्डियाँ मिली है जो सीधा होकर चल सकता था। इसलिए उसे पिथिकैन्थ्रोपस इरेकट्स अथवा होमो इरेकट्स कहा गया। यह जावा मानव के नाम से भी प्रसिद्ध हुआ । 2. जर्मनी के नियंडर घाटी में आदिमानव की कुछ हड्डियां प्राप्त हुई। यह नियंडरस्थल मानव के नाम से जाना जाता है। यह पुरापाषाण काल का प्रतिनिधित्व करता है।
40➤ इनमें से किन्हें भारत के प्राग इतिहास के अध्ययन को आरम्भ करने का श्रेय दिया जाता है
ⓐ हास्य ⓑ रॉबर्ट ब्रूस फुट ⓒ एच.डी. संकालिया ⓓ डी. टेरा
➤ रॉबर्ट ब्रूस फुट
भारतीय प्रागैतिहास के जनक ब्रिटिश भूविज्ञानी राबर्ट ब्रूसफुट थे। 1863 में चेन्नई के निकट पल्लवरम से पाषाण निर्मित (कुल्हाड़ी) की निर्णायक खोज के बाद इन्होंने अपने सहयोगी विलियम किंग के साथ मिलकर दक्षिण एवं पश्चिम भारत में प्रागैतिहासिक काल से सम्बन्धित अनेक महत्वपूर्ण खोज किये। इन्होंने लगभग 33 वर्ष भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण में बिताए । इन्हें प्राय: भारतीय प्रागैतिहास का पिता माना जाता है।
41➤ पाषाणयुगीन मानव को आग की जानकारी हुई थी
ⓐ निम्न पुरापाषाण काल ⓑ उच्च पुरापाषाण काल ⓒ मध्यपाषाण काल ⓓ नवपाषाण काल
➤ निम्न पुरापाषाण काल
पाषाणयुगीन मानव को आग की जानकारी सर्वप्रथम निम्न पुरापाषाण काल में हुई थी परन्तु इस दौरान इसके उपयोग से वह परिचित न था। आग का उपयोग करना मानव ने सर्वप्रथम नवपाषाण काल के दौरान सीखा।
42➤ चावल का प्राचीनतम उल्लेख किस स्थान से सम्बन्धित है
ⓐ महदहा ⓑ सराय नाहर राय ⓒ कोलडीहवा ⓓ भीमबेटका
➤ कोलडीहवा
नवीनतम खोजों के आधार पर भारतीय उपमहाद्वीप में प्राचीनतम कृषि साक्ष्य वाला स्थल उत्तर प्रदेश के संत कबीर जिले में स्थित लहुरादेव है । यहाँ से 8000 ई.पू. से 9000 ई.पू. मध्य के चावल के साक्ष्य प्राप्त हुए है। उल्लेखनीय ही कि इस नवीनतम खोज के पूर्व भारतीय उपमहाद्वीप का प्राचीनतम कृषि साक्ष्य वाला स्थल मेहरगढ़ (पाकिस्तान के बलूचिस्तान में स्थित यहाँ से 7000 ई.पू. के गेहूँ के साक्ष्य मिले है) जबकि प्राचीनतम चावल के साक्ष्य वाला स्थल कोलडीहवा (इलाहबाद जिले में बेलन नदी के तट पर स्थित याह से 6500 ई.पू. के चावल की भूसी के साक्ष्य मिले है) माना जाता था । उपरोक्त संदर्भों में अब यदि विकल्प में लहुरादेव रहता है तो उपयुक्त विकल्प वही होगा परन्तु लहुरादेव के विकल्प में न होने की स्थिति में इसका उत्तर पूर्व की भांति होगा ।
43➤ प्राचीन पाषाण युग के निवासियों को निम्नलिखित में से किस विषय का ज्ञान था
ⓐ चित्रांकन ⓑ कृषि कार्य ⓒ शिकार ⓓ पशुपालन
➤ शिकार
पाषाण युग के मानव को कृषि का ज्ञान नहीं था। वह वनों से प्राप्त फल फूल आखेट में मारे गये पशु, नदियों एवं झीलों से पकड़ी गई मछलियों आदि पर निर्भर था। अर्थात इस युग का मानव शिकारी और खाद्य संग्राहक था।
44➤ प्रागैतिहासिक चित्रकला के उदाहरण मिले है
ⓐ अजंता की गुफाओं में ⓑ बाघ की गुफाओं में ⓒ एलोरा की गुफाओं में ⓓ भीमबेटका के शैलाश्रयों में
➤ भीमबेटका के शैलाश्रयों में
प्रागैतिहासिक चित्रकला का श्रेष्ठ उदाहरण म.प्र. के रायसेन जिला स्थित भीमबेटका के शैलाश्रय तथा गुफाएं है। भीमबेटका की प्रागैतिहासिक चित्रकला को मध्यपाषाण काल से सम्बन्धित किया जाता है।
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य
1. अजंता तथा बाघ की शैलकृत गुफ़ा चित्रकला एतिहासिक कालीन (मौर्य काल के बाद की) है।
2. अमरावती अपने स्तूप स्थापत्य के लिए प्रसिद्ध है जिसे शुंग कालीन या सातवाहन कालीन माना जाता है।
45➤ तोबा ज्वालामुखी राख सर्वप्रथम प्राप्त हुई
ⓐ नर्मदा घाटी से ⓑ महानदी घाटी से ⓒ सोन घाटी से ⓓ यमुना घाटी से
➤ सोन घाटी से
तोबा ज्वालामुखी राख भारतीय उपमहाद्वीप में सर्वप्रथम मध्य सोन घाटी में प्राप्त हुई है। तोबा ज्वालामुखी विस्फ़ोटउत्तरी सुमात्रा में हुआ था। इसने दक्षिणी और दक्षिण पूर्वी एशिया के 4 करोड़ वर्ग किमी क्षेत्र को आच्छादित किया था।
46➤ सर्वाधिक संख्या में हस्तकुठार (हैण्डएक्स) और क्लीवर प्राप्त होते है
ⓐ नवपाषाण काल में ⓑ निम्न पुरापाषाण काल में ⓒ मध्यपाषाण काल में ⓓ आद्यैतिहासिक काल में
➤ निम्न पुरापाषाण काल में
दक्षिण भारत की कोर्तलयार नदी घाटी पूर्व पाषाणिक सामग्रियों के लिए महत्वपूर्ण है। इस घाटी में स्थित वदमदुरै नामक स्थान से निम्न पूर्व पाषाण काल के बहुत से उपकरण मिले है जिनका निर्माण क्वार्टजाईट पत्थर से किया गया है। यहाँ से हैण्डएक्स, क्लीवर तथा कोर उपकरणप्राप्त हुए है। इस घाटी का दूसरा महत्वपूर्ण पूर्व पाषाणिक स्थल अतिरम्पक्कम है। यहाँ से भी बड़ी मात्रा में हैण्डएक्स, क्लीवर तथा फलक उपकरणप्राप्त हुए है जो पूर्वपाषाण काल से सम्बन्धित है। हैंडएक्स पतले लम्बे चौड़े तथा फलक निकालकर तैयार किये गये है। यहाँ के हैंडएक्स अश्युलियन प्रकार के है। 7
47➤ भारतीय प्रागैतिहास के जनक थे
ⓐ राबर्ट ब्रूस फूट ⓑ मार्टिमर व्हीलर ⓒ जॉन मार्शल ⓓ ए. कनिंघम
➤ राबर्ट ब्रूस फूट
भारतीय प्रागैतिहास के जनक ब्रिटिश भूविज्ञानी राबर्ट ब्रूसफुट थे। 1863 में चेन्नई के निकट पल्लवरम से पाषाण निर्मित (कुल्हाड़ी) की निर्णायक खोज के बाद इन्होंने अपने सहयोगी विलियम किंग के साथ मिलकर दक्षिण एवं पश्चिम भारत में प्रागैतिहासिक काल से सम्बन्धित अनेक महत्वपूर्ण खोज किये। इन्होंने लगभग 33 वर्ष भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण में बिताए । इन्हें प्राय: भारतीय प्रागैतिहास का पिता माना जाता है।
48➤ हैण्ड एक्स क्लीवर सम्बन्ध है
ⓐ उच्च पुरापाषाण संस्कृति ⓑ मध्य पुरापाषाण संस्कृति ⓒ निम्न पुराणपाषाण संस्कृति ⓓ मध्य पाषाण संस्कृति
➤ उच्च पुरापाषाण संस्कृति
हैण्ड एक्स, क्लेवर आदि उपकरण निम्न पुरापाषाण काल से सम्बन्धित है।
49➤ किस नवपाषाणिक स्थल से धान की खेती के प्राचीनतम साक्ष्य मिले है
ⓐ चिरांद से ⓑ लहुरादेवा ⓒ बुर्जहोम ⓓ महगड़ा
➤ लहुरादेवा
नवीनतम खोजों के आधार पर भारतीय उपमहाद्वीप में प्राचीनतम कृषि साक्ष्य वाला स्थल उत्तर प्रदेश के संत कबीर जिले में स्थित लहुरादेव है । यहाँ से 8000 ई.पू. से 9000 ई.पू. मध्य के चावल के साक्ष्य प्राप्त हुए है। उल्लेखनीय ही कि इस नवीनतम खोज के पूर्व भारतीय उपमहाद्वीप का प्राचीनतम कृषि साक्ष्य वाला स्थल मेहरगढ़ (पाकिस्तान के बलूचिस्तान में स्थित यहाँ से 7000 ई.पू. के गेहूँ के साक्ष्य मिले है) जबकि प्राचीनतम चावल के साक्ष्य वाला स्थल कोलडीहवा (इलाहबाद जिले में बेलन नदी के तट पर स्थित याह से 6500 ई.पू. के चावल की भूसी के साक्ष्य मिले है) माना जाता था । उपरोक्त संदर्भों में अब यदि विकल्प में लहुरादेव रहता है तो उपयुक्त विकल्प वही होगा परन्तु लहुरादेव के विकल्प में न होने की स्थिति में इसका उत्तर पूर्व की भांति होगा ।
50➤ शावाधान में मानव के अवशेषों के साथ कुत्ते, बकरे जैसे पालतू पशुओं को दफनाने के साक्ष्य मिले है
ⓐ बुर्जहोम में ⓑ गुफ्काल में ⓒ मेहरगढ़ में ⓓ चिरांद में
➤ बुर्जहोम में
जम्मू एवं कश्मीर में श्रीनगर के निकट उत्तर पश्चिम में स्थित बुर्जहोम से नवपाषाणिक अवस्था में मानव कंकाल के साथ कुत्ते का कंकाल भी श्वाधान से प्राप्त हुआ है। गर्तावास भी यहाँ की प्रमुख विशेषता है। इस प्रास्थल की खोज 1935 में डी टेरा एवं पीटरसन ने की थी।
51➤ निम्नलिखित स्थलों में से कौन सा स्थल प्रागैतिहासिक शैल चित्रकला के लिए प्रसिद्ध है
ⓐ बाघ ⓑ अजंता ⓒ भीमबेटका ⓓ अमरावती
➤ भीमबेटका
प्रागैतिहासिक चित्रकला का श्रेष्ठ उदाहरण म.प्र. के रायसेन जिला स्थित भीमबेटका के शैलाश्रय तथा गुफाएं है। भीमबेटका की प्रागैतिहासिक चित्रकला को मध्यपाषाण काल से सम्बन्धित किया जाता है।
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य
1. अजंता तथा बाघ की शैलकृत गुफ़ा चित्रकला एतिहासिक कालीन (मौर्य काल के बाद की) है।
2. अमरावती अपने स्तूप स्थापत्य के लिए प्रसिद्ध है जिसे शुंग कालीन या सातवाहन कालीन माना जाता है।
52➤ बुचडखाना क्षेत्र का साक्ष्य प्राप्त हुआ है।
ⓐ महदहा से ⓑ चोपनीमांडो से ⓒ दमदमा से ⓓ सराय नाहर राय से
➤ महदहा से
मध्य पाषाणकालीन स्थल महदहा (उ.प्र. के प्रतापगढ़ जिले में स्थित ) से बड़ी मात्रा में हड्डी एवं सींग निर्मित उपकरण प्राप्त हुए हैं। जी. आर. शर्मा में महदहा में तीन क्षेत्रों का उल्लेख किया है जो झील क्षेत्र, बुचडखाना संकुल क्षेत्र एवं कब्रिस्तान निवास क्षेत्र में बंटा था। बुचडखाना संकुल क्षेत्र से ही हड्डी एवं सींग निर्मित उपकरण एवं आभूषण बड़े पैमाने पर पाए गये है।
53➤ राबर्ट ब्रूसफुट ने भारत में प्रथम पुरा पाषाणिक उपकरण किस स्थान से प्राप्त किया
ⓐ पल्लवरम ⓑ कर्नूल ⓒ चित्तूर ⓓ नेल्लौर
➤ पल्लवरम
सर्वप्रथम 1863 में राबर्ट ब्रूसफुट ने मद्रास के पास पल्लवरम नामक स्थान से पहला हैण्डएक्स प्राप्त किया था। उनके मित्र किंग ने अतिरमपक्क्म में पूर्वपाषाण काल के उपकरण खोज निकाले। इसके बाद डी. टेरा तथा पीटरसन के नेतृत्व में एल. कैम्ब्रिज अभियान दल ने इस क्षेत्र में अनुसंधान प्रारम्भ किया।
54➤ मध्य पाषाणिक स्थल चोपनीमांडो स्थित है
ⓐ उदयपुर के निकट राजस्थान में ⓑ इलाहाबाद के कोराँव तहसील में बूढी बेलन के किनारे ⓒ प्रतापगढ़ में ⓓ इलाहाबाद (प्रयागराज)
➤ इलाहाबाद (प्रयागराज)
चोपनीमांडो, इलाहबाद (प्रयागराज) जिले के मेजा तहसील में बूढी बेलन के किनारे स्थित है। यह मध्यपाषण कालीन स्थल है। इस पुरास्थल की खुदाई वर्ष 1962 से 1980 के बीच कराई गई। यहाँ से बहुसंख्यक पाषाण उपकरण पेबुल आदि मिलते है। उपकरणों के अतिरिक्त यहाँ से झोपड़ियों के भी प्रमाण मिले है। चोपनीमांडो पुरास्थल लगभग 15000 वर्ग मी. क्षेत्र में विस्तृत है।
55➤ हैण्ड एक्स क्लेवर आदि उपकरण किस पाषाणकालीन परंपरा के परिचायक है
ⓐ पुरापाषाण काल ⓑ निम्न पुरापाषाण काल ⓒ मध्यपाषाण काल ⓓ उच्च पूरापाषाण काल
➤ निम्न पुरापाषाण काल
हैण्ड एक्स, क्लेवर आदि उपकरण निम्न पुरापाषाण काल से सम्बन्धित है।
56➤ कृषि के प्राचीनतम साक्ष्य प्राप्त होते है।
ⓐ चिरांद से ⓑ ब्रुजेहोम से ⓒ लहूरादेव से ⓓ सेनुवार से
➤ लहूरादेव से
नवीनतम खोजों के आधार पर भारतीय उपमहाद्वीप में प्राचीनतम कृषि साक्ष्य वाला स्थल उत्तर प्रदेश के संत कबीर जिले में स्थित लहुरादेव है । यहाँ से 8000 ई.पू. से 9000 ई.पू. मध्य के चावल के साक्ष्य प्राप्त हुए है। उल्लेखनीय ही कि इस नवीनतम खोज के पूर्व भारतीय उपमहाद्वीप का प्राचीनतम कृषि साक्ष्य वाला स्थल मेहरगढ़ (पाकिस्तान के बलूचिस्तान में स्थित यहाँ से 7000 ई.पू. के गेहूँ के साक्ष्य मिले है) जबकि प्राचीनतम चावल के साक्ष्य वाला स्थल कोलडीहवा (इलाहबाद जिले में बेलन नदी के तट पर स्थित याह से 6500 ई.पू. के चावल की भूसी के साक्ष्य मिले है) माना जाता था । उपरोक्त संदर्भों में अब यदि विकल्प में लहुरादेव रहता है तो उपयुक्त विकल्प वही होगा परन्तु लहुरादेव के विकल्प में न होने की स्थिति में इसका उत्तर पूर्व की भांति होगा ।
57➤ फसल काटने का आयताकार पाषाण उपकरण (हार्वेस्टर) किस नवपाषाणिक संस्कृति से प्राप्त हुआ है
ⓐ कश्मीर से ⓑ गंगाघाटी से ⓒ विन्ध्य क्षेत्र से ⓓ दक्षिण भारत से
➤ कश्मीर से
उत्तरी क्षेत्र में स्थित कश्मीर के दो महत्वपूर्ण नवपाषाणिक स्थल बुर्जहोम एवं गुफ्कराल है। यहाँ से नवपाषाण युगीन अनेक पत्थर एवं हड्डियों से निर्मित औजार प्राप्त हुए है। यहीं से फसल काटने का आयताकार पाषाण उपकरण (हार्वेस्टर) भी प्राप्त हुआ है।
58➤ निम्नलिखित स्थलों में से कौन सा स्थल प्रागैतिहासिक शैल चित्रकला के लिए प्रसिद्ध है
ⓐ अजंता ⓑ बाघ ⓒ भीमबेटका ⓓ अमरावती
➤ भीमबेटका
प्रागैतिहासिक चित्रकला का श्रेष्ठ उदाहरण म.प्र. के रायसेन जिला स्थित भीमबेटका के शैलाश्रय तथा गुफाएं है। भीमबेटका की प्रागैतिहासिक चित्रकला को मध्यपाषाण काल से सम्बन्धित किया जाता है।
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य
1. अजंता तथा बाघ की शैलकृत गुफ़ा चित्रकला एतिहासिक कालीन (मौर्य काल के बाद की) है।
2. अमरावती अपने स्तूप स्थापत्य के लिए प्रसिद्ध है जिसे शुंग कालीन या सातवाहन कालीन माना जाता है।
59➤ हड्डी की मातृदेवी मूर्ति प्राप्त हुई है।
ⓐ विंध्य घाटी के निम्न पूर्वपाषाण काल से ⓑ सोन घाटी के मध्य पूर्वपाषाण काल से ⓒ बागोर के मध्य पाषाण काल से ⓓ विंध्य घाटी के उच्च पूर्वपाषाण काल से
➤ विंध्य घाटी के उच्च पूर्वपाषाण काल से
हड्डी की मातृदेवी, मूर्ति, विंध्य घाटी के उच्च पूर्वपाषाण काल से प्राप्त हुई है
60➤ हस्तकुठार उपकरण निम्नलिखित में से किस विधि का उपकरण था
ⓐ यूनीफेसियल ⓑ बाईफेसियल ⓒ दोनों विधियों से ⓓ रीटीचिंग उपकरण
➤ बाईफेसियल
हस्तकुठार उपकरण द्विधारी शिल्प उपकरण था। भारत में सर्वप्रथम 1863 में रॉबर्ट ब्रूसफुट ने मद्रास के निकट पल्लवरम नामक स्थान से पहला हस्तकुठार प्राप्त किया था।